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"विश्व कैंसर दिवस: स्वस्थ जीवनशैली, समय पर जांच और अटूट हौसला ही है असली इलाज"

 

"स्वस्थ रहेंसजग रहें कैंसर को हराने का वह मंत्र  है जिसे हर वर्ष फरवरी को 'विश्व कैंसर दिवसके रूप में मनाया व दोहराया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता फैलानाइसकी रोकथाम के उपायों को साझा करनाऔर इस गंभीर बीमारी से लड़ने वालों के साहस को सम्मानित करना है। यह दिन हमें यह सोचने का अवसर देता है कि एक स्वस्थ जीवनशैलीसमय पर जांच और अटूट हौसला किस प्रकार कैंसर जैसी बीमारी से बचाव में मददगार हो सकते हैं।

कैंसर की रोकथाम में आहार का महत्व

स्वस्थ आहार हमारे शरीर को न केवल मजबूती प्रदान करता है बल्कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने की क्षमता भी विकसित करता है। सही खान-पान कैंसर के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  1. रंग-बिरंगे फल और सब्जियों का सेवन: गाजरब्रोकलीबेरीजपालक जैसे खाद्य पदार्थ विटामिनफाइबरऔर एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैंजो शरीर में हानिकारक तत्वों से लड़ने में मदद करते हैं।
  2. फाइबर युक्त आहार: साबुत अनाजदालें और बीज पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को कम करते हैं।
  3. प्राकृतिक और ताजे खाद्य पदार्थ: प्रोसेस्ड फूड्स की बजाय ताजे फलसब्जियां और घर पर तैयार भोजन को प्राथमिकता दें।
  4. चीनी और वसा का सीमित सेवन: अधिक चीनी और वसा वाले खाद्य पदार्थ मोटापे का कारण बन सकते हैंजिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  5. पर्याप्त पानी पीना: हाइड्रेटेड रहना शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखने में सहायक होता है।

समय पर जांच का महत्व

कैंसर की समय पर पहचान और जांच से रोग का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाया जा सकता हैजिससे इलाज की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। मैमोग्राफीपैप स्मीयरकोलोस्कोपी जैसे परीक्षणों से ब्रेस्ट कैंसरसर्वाइकल कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर की पहचान की जा सकती है।

उदाहरण के रूप मेंडॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने समय पर जांच और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से स्टेज-कैंसर का सामना किया और इस बीमारी को मात दी। उनकी कहानी साहस और जागरूकता का प्रतीक है।

"बजट 2025: कैंसर से लड़ाई के लिए सरकार के नए कदम"

हाल ही में प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।ित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के उपचार में उपयोग होने वाली 36 जीवनरक्षक दवाओं को बुनियादी सीमा शुल्क (बेसिक कस्टम ड्यूटी) से पूरी तरह छूट दी जाएगीजिससे ये दवाएं अधिक सस्ती और सुलभ होंगी।

इसके अतिरिक्तअगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में कैंसर डे-केयर सेंटर स्थापित करने की योजना हैजिसमें से 200 सेंटर इसी वित्त वर्ष में खोले जाएंगे।स पहल का उद्देश्य कैंसर रोगियों को स्थानीय स्तर पर कीमोथेरेपी जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करना हैजिससे उन्हें बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।

इन कदमों के माध्यम से सरकार कैंसर के उपचार को अधिक किफायती और सुलभ बनाने का प्रयास कर रही हैजिससे आम जनता को इस गंभीर बीमारी से लड़ने में सहायता मिलेगी।

बीमारी से लड़ने का हौसला

कैंसर से लड़ने के लिए मानसिक दृढ़ता और हौसला सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं। कई लोग अपने साहस और धैर्य से इस बीमारी को पराजित करने में सफल रहे हैं।

  • युवराज सिंह: भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने कैंसर से जूझते हुए अपने करियर में शानदार वापसी की और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
  • सुनीता (परिवर्तित नाम): राजस्थान की 45 वर्षीय सुनीता को स्तन कैंसर का पता चला। परिवार के सहयोग और डॉक्टरों की सलाह से उन्होंने इलाज शुरू किया। नियमित व्यायामयोग और सकारात्मक सोच के साथ वे आज पूरी तरह स्वस्थ हैं और दूसरों को भी प्रेरित करती हैं।
  • नवजोत सिंह सिद्धू: पूर्व क्रिकेटर और राजनेताजिन्होंने अपनी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की कैंसर जैसी बीमारी से हिम्मत और सकारात्मक सोच के साथ लड़ाई लड़ी।
  • डॉ. नवजोत कौर सिद्धू: जिन्होंने कैंसर से जूझते हुए न केवल बीमारी को मात दी बल्कि अपने अनुभवों से अन्य लोगों को भी प्रेरित किया।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि समय पर जांचसही आहार और मजबूत मानसिकता के साथ हम कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से न केवल लड़ सकते हैंबल्कि इसे पराजित भी कर सकते हैं। यह दिन हमें सिखाता है कि उम्मीद और हौसला कभी नहीं खोना चाहिएक्योंकि हर जंग जीतने की शुरुआत विश्वास से होती है।

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